Nirman
आजकल निर्माण के 10वे कैंप के लिए प्रचार जोरो शोरो पर चल रहा है। निर्माण अपने Youth for Purposeful Life का संदेश अधिक से अधिक युवाओं तक पहुंचाना चाहता है, ताकि युवा स्वयं का निर्माण कर सके, स्वयं के लिए एक उद्देश्य पूर्ण जीवन का निर्माण कर सके और उद्देश्य पूर्ण जीवन जीने के साथ साथ एक आनंदमय जीवन भी जी सके। निर्माण की शुरवात डॉ अभय और डॉ रानी बंग ने की। दोनों को स्वास्थ्य सम्बंधित विषयों पर काम करने के लिए पदम श्री भी मिला है।

Dr Abhay Bang and Dr Rani Bang accepting Padma Shri Award from President Shri Ram Nath Kovind
Youth for Purposeful Life
ये निर्माण की tagline है, जो एक तरह से पुरे ‘निर्माण’ प्रक्रिया का सार है । Purposeful life इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर जीवन में लक्ष्य हो तो जीवन को एक दिशा मिलती है। जीवन में कई उतार चढ़ाव आते ही है, इसलिए दिशा भटकना आसान है। सुगम रास्ता चुनने का मन में अक्सर आकर्षण रहता है। पर क्या सरल रास्ते पर चलना जीवन में आनंद देगा? जिस तरह क्रिकेट का मैच अगर कांटे का न हो, रोमांच न हो, ऐसे न लगे की हार भी सकते है अगर अच्छा नहीं खेले, तो मैच खेलने और देखने में मज़ा नहीं आता है। ठीक उसी प्रकार जीवन है, कोई चुनौती ना हो, कुछ नया ना सीखे तो क्या जीवन में मज़ा आएगा?
Youth
जैसा कि आप जानते है युवा ऊर्जा से भरे होते है। समाज में भी काफी बदलाव लाना चाहते है। भगत सिंह (23 साल), महात्मा गांधी (24 वर्ष) चाचा नेहरू (24 वर्ष), अटल बिहारी वाजपई (16 वर्ष), सोनम वांगचुग (22 वर्ष) युवा ही थे जब उन्होंने सामजिक विषयों पर काम करना शुरू कर दिया था। आपको ये भी पता है कि हमारे आस-पास समाज में काफ़ी समस्याओं है। शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं, आर्थिक विषमता, कृषि, पर्यावरण, जल, वायु का प्रदुषण इन सभी विषयों पर काम करने की आवश्यकता है। पर काम कौन करेगा? देश के युवा!
निर्माण शिविर इसलिए विशेषकर युवाओं के लिए है, जो अभी कॉलेज में पढ़ रहे है या कुछ वर्षों से काम कर रहे है और समाज के बारे में भी सोचते है। निर्माण का शिविर गडचिरोली स्थित शाेधग्राम में लगभग 9-10 दिन का होता है। शिविर में मुख्यत 18-28 वर्ष के कॉलेज में पढ़ रहे या अपनी पढ़ाई पूरी पर कुछ साल काम कर रहे, NGO में काम कर रहे, डॉक्टरी की पढाई कर रहे छात्र होते है। जीवन में इतने विविध विविध क्षेत्रों में काम कर रहे या पढ़ाई कर रहे लोगों से मैं पहली बार मिला था। और शिविर में काफ़ी हंसी खुशी का माहौल के बीच जीवन के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों पर भी गंभीरता से बात होती है।

Nirmanees at Nirman 8.3 camp
Happiness
जीवन में ख़ुशी की चाह में हर इंसान लगा हुआ है। और लगा भी क्यों न हो, विज्ञान कहता है की खुशी इंसान ज्यादा कामयाब होता है, स्वस्थ रहता है और अपने आसपास के लोगो के संग भी खुशियाँ बाटता है। मैं भी अपने जीवन में हर बड़ा फैसला ये सोच कर ही करता हु कि कुछ समय बाद इस काम से मुझे ख़ुशी मिलेगी की नहीं। रोचक बात ये है की अगर आप आनंद के विज्ञान को पढ़ेंगे तो आपको पता लगेगा की वो इंसान खुश रहते है जिनके अपने सगे-सम्बन्धियों से गहरे संबंध हो, कुछ हद तक अपने गुज़र-बसर और इच्छाओं को पूरा करने के लिए पैसा हो और एक उद्देश्यपूर्ण काम हो। ये उद्देश्यपूर्ण काम की तलाश ही है कि कई युवक/युवतियां अपनी नौकरी से ऊब कर दूसरी नौकरी खोजते है, NGO में काम करते है, स्टार्ट-अप खोलते है और ऐसे ही अन्य काम करते है। मैं भी जब अपनी नौकरी कर रहा था, पैसा तो कमा रहा था, पर जिस प्रकार तनख्वा बढ़ती थी, उस प्रकार काम में लगन या काम से ख़ुशी नहीं बढ़ती थी। तब मुझे ये नहीं पता था की एक उद्देश्यपूर्ण काम खोजना चाहिए मुझे। ये ज्ञान नहीं था कि मुझे वो काम खोजना है जिससे मेरा भावनात्मक जुड़ाव हो, जो मुझे उद्देश्यपूर्ण लगता हो। इस ज्ञान के आभाव में मैंने सोचा की MTech कर लेते है क्योंकि BTech के दिन अच्छे थे मेरे लिए। पर सच कहु तो IIT Bombay से MTech करके मुझे ऐसा नहीं लगा की मुझे अब वो काम मिल गया है, इसलिए मैं placements में भी नहीं बैठा था। निर्माण के कैंप में जब purposeful life के बारे में बात हुई और मैंने आनंद के विज्ञान को पढ़ा, तो मुझे समझ आया की उद्देश्यपूर्ण काम खोजना कितना महत्वपूर्ण है खुश रहने के लिए।
My Experience
मैं निर्माण 8 के शिविर का हिस्सा रहा हूं और उसके बाद मेरे जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आए है। निर्माण में मैंने जो सीखा उसकी इन बदलावों में अहम भूमिका रही है। इन बदलावों के बारे में बात करके मैं अपने कई साथियों से निर्माण का परिचय करवाना चाहता हूं।
मेरे जीवन में कई बदलाव आए है निर्माण के शिविर के बाद:
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- पहली बार निर्माण कैंप में मैंने purposeful life के प्रश्न के बारे में शांति से सोचा और अपने लिए खुद को समझने और खुद के लिए भावनात्मक जुड़ाव वाला काम खोजने के लिए पांच वर्षो का प्लान बनाया।
- मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और अपने शरीर का BMI ठीक करने का मनोबल भी बढ़ा। निर्माण शिविर से आने के बाद मैंने अपने शरीर पर ध्यान देना शुरू किया। रोज़ जॉगिंग करना, व्ययाम करना और खेलना शुरू किया। 4 महीनों के निरंतन प्रयास से 6 किलों वज़न कम किया।
- अपने आस पास के समाज को समझने के लिए, खुद के विकास के लिए और आंनद के लिए भी किताबें पढ़ना शुरू किया।
- कई दोस्त बने जो या तो समाजिक विषयो पर काम कर रहे है, या फिर काम करने की प्रबल इच्छा रखते है। उनमें से कुछ दोस्तों से मेरी आज भी काफ़ी अच्छी और in-depth बात होती है।
- स्वयं को समझने के लिए ध्यान करना, योगा करना, जीवन में जो हो रहा है उसके बारे में लिखना, डायरी लिखना शुरू किया।
- परिवार और मित्रों से भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने की दिशा में पहल हुई।
- जीवन लक्ष्य शिक्षा के क्षेत्र में काम करना तय किया। शिक्षा के विषय में क्या क्या काम हो रहा है उसके बारे में पढ़ना, लिखना शुरू हुआ।
एक ऐसा काम करने का फैसला किया जिससे मैं भावनात्मक रूप से भी जुड़ा हूं। अभ्यासिका से जुड़ कर मुझे लगभग 4 वर्ष बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला। जीवन में अच्छी शिक्षा कितनी जरूरी है इसकी समझ और गहरी हुई। अच्छी शिक्षा से अच्छा इंसान और अच्छा समाज बनाया जा सकता है, इसपर विश्वास बढ़ा। बच्चों और युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले इस विषय पर काम करने का दृढ़ संकल्प मैंने निर्माण शिविर के बाद ही किया।
Path
वो रास्ता चुनना जिससे मेरे भावनात्मक जुड़ाव हो। जो रास्ता जीवन के अलग अलग अनुभवों के कारण ठीक लगे, ऐसा रास्ता खोजना एक तरह से खुद को भी खोजने के समान है। जिस प्रकार प्रकाश की पहचान तब ही हो सकती है जब प्रकाश किसी रुकावट से टकराए, उसी प्रकार खुद की पहचान, खुद के गुण, स्वयं के मूल्य तथा प्राथमिकताओं की पहचान भी तभी होती है जब जीवन में चुनौती मिले, कोई मुश्किल निर्णय लेना हो या कई दिशाओं में एक दिशा चुननी हो। सच्चे दोस्त की पहचान भी मुश्किलों में ही होती है। निर्माण वो शुरुवात थी जहां से मैंने अपने जीवन का लक्ष्य एक समाजिक और महत्वपर्ण प्रशन को समझने और हल करने का बनाया। मार्ग में कई चुनौतियां आएगी पर क्योंकि मुझे WHY पता है, तो HOW भी हो जायेगा। जैसा की Viktor Frankl जी ने कहाँ है: Those who have a ‘why’ to live, can bear with almost any ‘how’
इस प्रकार निर्माण से जुड़ कर मैंने जीवन में एक ऐसा लक्ष्य चुना जिसमें मेरा स्वार्थ नहीं है। अपने स्वार्थ को भूल ऐसे काम को चुना है जिसमें हमारा लाभ हो। इसका ये मतलब नहीं है कि मैं अपने परिवार को भूल गया हूं। उनकी खुशी की भी मेरे जीवन में प्राथमिकता है और बच्चो और युवाओं को गुणात्मक शिक्षा प्राप्त हो ऐसे संस्थान बनाना भी प्राथमिकता है।
Process

अगर आप भी इस मैं से हम के सफर पर चलना चाहते है, समाजिक प्रश्नो पर बात करते है और उसे सुधारने की चाह रखते है तो निर्माण के इस सफ़र में मेरी शुभकामनाएं आपको।
निर्माण 10 फॉर्म: http://nirman.mkcl.org/doc/nirman-application-form.pdf
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